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पार्टी के बारे में

देश के 28वें राज्य के रूप झारखंड राज्य बनने के साथ ही सन्‌ 2000 ई में ही सीपीआई(एम) झारखंड भी अस्तित्व
में आया।झारखंड के पहले राज्य सचिव कॉम ज्ञान शंकर मजूमदार बने।

विपुल खनिज संपदा और बड़े उद्योगों से संपन्न झारखंड बड़े जनसंघर्षों और विद्रोहों की भी उर्वर भूमि रही है।
1784 में तिलका माँझी का अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह से ले कर 1855-56 के संताल हूल से बिरसा मुंडा के
उलगुलान तक झारखंड का इतिहास जन विद्रोहों की श्रृंखला की गाथा है।

झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है जहाँ अधिसंख्य ब्लॉक संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अंतर्गत अधिसूचित
क्षेत्र है। यहाँ पेसा क़ानून भी लागू है। जल-जंगल-जमीन के सामूहिक स्वामित्व की आदिवासी परंपरा के विरुद्ध  
धर्म-कॉपेरिट-सरकार के गठजोड़ ने खनन और औद्योगीकरण के नाम पर विकास की आड़ में भूमि अधिग्रहण
द्वारा आदिवासियों को बेदखल और विस्थापित करने की मुहिम चला रखी है। परिसीमन आयोग के 2006 प्रस्ताव
मेँ आदिवासी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 26 से घटा कर 21 तक सीमित करने की मंशा थी लेकिन विपक्ष के
विरोध के कारण सरकार हिम्मत नहीं जुटा सकी।

सीपीआई(एम) झारखंड जल-जंगल-ज़मीन पर आदिवासियों के सामूहिक स्वामित्व, उनकी पहचान और उनके
मुद्दों के साथ मजबूती से खड़ा है। पार्टी भारत के एकमात्र मातृ उद्योग एचईसी के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के
संस्थाओं को बचाने के आंदोलन में भी नेतृत्वकारी भूमिका में है। खनन और उद्योग के सरकारी नीतियों पर भी
पार्टी की पार्टी की पैनी नज़र रहती है और जन विरोधी नीतियों के विरुद्ध पार्टी आंदोलनों से सार्थक हस्तक्षेप भी
करती है।
 
पार्टी नेतृत्व
राज्य सचिव
ज्ञान शंकर मजूमदार - 2000 - 2010
गोपी कांत बख्शी - 2010 - 2021
प्रकाश विप्लव -2022 -